तुम कल्प, अल्प और विकल्प मेरे। तुम बिन एक कल्प गुजरा, निसदिन मैं कितना अल्प गुजरा। तुम कल्प, अल्प और विकल्प मेरे। तुम बिन एक कल्प गुजरा, निसदिन मैं कितना ...
पास ना होकर भी आप हमेशा साथ ही हो, इतनी दूर जाकर भी दिलों में सिर्फ आप ही हो, पास ना होकर भी आप हमेशा साथ ही हो, इतनी दूर जाकर भी दिलों में सिर्फ आप ...
उसको देख कर मैं फिर बेहाल था क्या? और उसका भी यही सवाल था क्या? हम पास होकर भी क्यों उसको देख कर मैं फिर बेहाल था क्या? और उसका भी यही सवाल था क्या? हम पास होक...
जहां आम ज़िंदगी के कुछ पल खुद के लिए खुल कर एक बार जीना है। जहां आम ज़िंदगी के कुछ पल खुद के लिए खुल कर एक बार जीना है।
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,